आखिर क्यों चुना गया था मिराज 2000 विमान एयर स्ट्राइक के लिए

भारतीय वायुसेना का लड़ाकू विमानों ने आज से ठीक एक साल पहले पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को तबाह किया था। पुलवामा में सीआरपीएफ के वीर जवानों की शहादत का बदला लेने के उद्देश्य से किए गए हमले में जैश के सैकड़ों आतंकी मारे गए थे।




राज-2000 विमानों की खासियत
बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर हमले के लिए वायुसेना द्वारा मिराज-2000 विमानों का चयन करना भी एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा था। भारतीय वायुसेना के 12 मिराज-2000 विमानों के समूह ने जैश के कैंप पर 1000 किलग्राम के कई बम गिराए थे। जानिए मिराज-2000 विमानों की खासियत-




दुश्मन की सीमा में अंदर तक घुसकर हमला करने में सक्षम
भारतीय वायुसेना की रीढ़ समझे जाने वाले मिराज-2000 लड़ाकू विमान डीप पेनिट्रेशन स्ट्राइक करने की क्षमता रखते हैं। इसका मतलब यह है कि ये लड़ाकू विमान दुश्मन की सीमा में अंदर तक घुसकर हमला करने में सक्षम हैं।




बिना दुश्मन की रडार में आए लक्ष्य को कर सकता है ध्वस्त
मिराज 2000 लड़ाकू विमान किसी भी देश में भीतर तक जाकर बिना दुश्मन की रडार के पकड़ में आए अपने लक्ष्य को ध्वस्त कर सकता है।




फ्रांस की राफेल विमान बनाने वाली कंपनी ने किया है निर्माण
मिराज-2000 विमान फ्रांस की कंपनी डसाल्ट एविएशन द्वारा बनाया गया है। यह वही कंपनी है जिसने राफेल लड़ाकू विमान को बनाया है।




नौ देशो की सेना में तैनात है मिराज 2000
मिराज-2000 चौथी पीढ़ी का मल्टीरोल, सिंगल इंजन लड़ाकू विमान है। इसकी पहली उड़ान साल 1970 में आयोजित की गई थी। यह फाइटर प्लेन अभी लगभग नौ देशो में अपनी सेवाएं दे रहा है। साल 2009 तक लगभग 600 से अधिक मिराज-2000 दुनिया भर में सेवारत हैं।




विमान के आधुनिकीकरण में जुटी वायुसेना
भारतीय वायुसेना द्वारा संचालित लगभग 51 मिराज 2000 विमानों के एक बेड़े को उन्नत करने के लिए फ्रांस से 1.9 बिलियन डालर का समझौता किया गया है।




हथियार
मिराज 2000 में घातक हथियारों को ले जाने के लिए नौ हार्ड पॉइंट दिए गए हैं। जिसमें पांच प्लेन के नीचे और दो दोनों तरफ के पंखों पर दिया गया है। मिराज के सिंगल-सीट संस्करण में भी दो हैवी फायरिंग करने वाली 30 मिलीमीटर की बंदूकें लगी होती हैं।


कई मिसाइलों को दाग सकता है मिराज 2000
हवा से हवा में मार करने वाले हथियारों में MICA मल्टीगेट एयर-टू-एयर इंटरसेप्ट और कॉम्बैट मिसाइलें शामिल हैं। इसके अलावा भी यह कई प्रकार के हथियार ले जाने में सक्षम है। 




पाक के एफ 16 को रोकने के लिए भारत ने खरीदे मिराज 2000
पाकिस्तान को अमेरिका द्वारा उस समय के सबसे बेहतरीन और आधुनिक विमान एफ-16 को दिए जाने के बाद भारत ने फ्रांस के मिराज 2000 की खरीद के संबंध में बातचीत शुरू कर दी थी। अक्तूबर 1982 में भारत ने 36 सिंगल-सीट मिराज-2000HS और 4 ट्विन-सीट मिराज-2000THS के लिए डसॉल्ट को ऑर्डर दिया।




सोवियत संघ से संबंध के कारण विमानों के उत्पादन पर पड़ा प्रभाव
पहले, 150 विमानों की खरीद के लिए फ्रांस के साथ बातचीत चल रही थी, जिसका निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ संयुक्त उत्पादन के तहत होना था। बता दें कि भारत के पास लाइसेंस के तहत मिराज 2000 का उत्पादन करने का विकल्प था जो बाद में सोवियत संघ के साथ देश के घनिष्ठ संबंध के कारण खत्म हो गया था।




मिराज 2000 ऑपरेट करने वाला पहला देश भारत 
29 जून 1985 को नंबर 7 स्क्वाड्रन के पहले सात विमानों की डिलीवरी के साथ भारतीय वायु सेना इस प्रकार का पहला विदेशी सेना बनी जिसके पास मिराज 2000 विमान थे। शुरूआत में इस विमान में स्नेक्मा एम 53-5 इंजन थे जिसे बाद में एम 53 पी-2 इंजन से बदल दिया गया।




1986 में औपचारिक रूप से वायुसेना में हुआ शामिल
मिराज 2000 में परिवर्तित होने वाला दूसरा स्क्वाड्रन नंबर 1 स्क्वाड्रन था। जिसे द टाइगर्स के नाम से जाना जाता है। इसे 1986 में औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया।






















 















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